अपराधी पेड़
हमारी जड़े पहचान ली गई हैं
वे सारी चीजें खोज ली गई हैं
जो हमें बचाती थी
तेज घूप में जलने से
बरसात में बहने से
ह्यूंन में बर्फ बनने से
यह भी खोज लिया गया है
नदी कैसे लेती हैं सांस
पंछ़ी कैसे सेते हैं अण्डे
कवक कैसे उगते हैं कोठर में
सूखे पत्ते कैसे बनाते है
कुरमुलों से मिलकर
मिट्टी
मिट्टी कैसे बनाती है इन्सान को
यह सब खोज लिया गया है
हमारी रितुऐं जल्द ही
सरे आम लूट ली जायेंगी
क्योंकि
दोषी की शिनाख्त कर ली गई है
उस पर रंग पोता जा रहा है
उसकी गिनती हो रही है
चीख रहे हैं बीज
रो रही हैं झांड़ियां
असहाय बेलें
लड़खड़ाती
गिर रहीं धरती पर
जिसे डुब जाना है
एक दिन
इन सब में मनुष्य कहाँ है?
दरअसल पेडों को बाँध के लिए
चिन्हित किया जाना
अगली हत्या का संकेत है
उन्होंने मनुष्य को
निशाने पर रख लिया है
पेड़ के कटते ही
मनुष्य को मिटा दिया जायेगा
इस तरह खत्म कर दिया जायेगा
मिट्टी को सदा के लिए।
-अनिल
लेखक परिचय – संपादक विहान पत्रिका
शोध कुमांयू यूनिवर्सिटी नैनीताल से हिंदी की लम्बी कविताओं पर शोध (विषय -हिंदी) कुछ कहानियाँ, कुछ कविताएँ, कुछ आलेख, कुछ नाटक, कुछ गीत, कुछ कम्पोजिशन,के साथ ही कुछ कहानियों का भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सौजन्य से सफल मंचन निर्देशन ‘सुभाष चन्द्रा’ सह निर्देशन में भी वर्तमान में ‘डे मोंट्रियल’ युनिवर्सिटी फ्रांस के ‘मानवविज्ञान विभाग’ के साथ मिलकर कुमाउनी की मौखिक परंपराओं पर कार्य