Saturday , 21 April 2018
ए! नए साल - संदीप कुमार ए! नए साल कुडे के ढेर से खाना बटोरकर खाने की चाह मेरी नहीं है कड़कड़ाती ठंड में नंगे बदन ठिठुरने की चाह मेरी नहीं है नहीं है मेरी चाह रात खुल ...
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